मां की लाश के साथ सालभर सोईं बेटियां

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वाराणसी में मां के शव के साथ दो बेटियां एक साल तक सोती रहीं। रिश्तेदार आए तो घर में घुसने नहीं दिया। शक होने पर पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस दरवाजा तोड़कर घर में घुसी। अंदर का नजारा देखकर सभी हैरान रह गई। अंदर के कमरे से भयानक बदबू आ रही थी। जबकि दोनों बेटियां घर में निश्चिंत होकर बैठी थीं। जैसे ही पुलिस अंदर घुसी दोनों कंकाल से लिपटकर चिखने-चिल्लाने लगीं। पुलिस ने काफी मशक्कत के बाद दोनों को घर से बाहर निकाला। मामला रात का लंका थाना क्षेत्र के सामने घाट मदरवा का है।बीमारी के चलते 8 दिसंबर, 2022 को 52 साल की ऊषा त्रिपाठी की मौत हो गई थी। उनकी दो बेटियां पल्लवी त्रिपाठी 27 और वैश्विक त्रिपाठी 18 ने तय किया मां दूर चली गई, लेकिन उनका शरीर दूर नहीं जाने देंगे। मां का शव रखकर दोनों ने उसे सुरक्षित करने की हजार कोशिशें कीं। उनके शरीर को धोया, फिर कमरे को ठंडा रखने की कोशिश की।शरीर सड़ने लगा और दुर्गंध आई तो धूपबत्ती और अगरबत्ती जलाईं। रूम फ्रेशनर कमरे में छिड़कती रहीं। मां के शरीर में कीड़े पड़ने लगे तो दोनों मिलकर उन्हें निकालती, फिर शव कंबल से ढक देतीं। कमरा बंद कर देतीं, खाना बनाती और फिर छत पर जाकर खातीं। ऊषा की मौत के बाद इस एक साल में नाना, मौसा मौसी समेत तमाम रिश्तेदार आए, लेकिन किसी को घर की दहलीज में दाखिल नहीं होने दिया। नाना के लिए दरवाजा खोला तो मौसा-मौसी से खिड़की पर ही बात की। रिश्तेदारों ने बीमार मां की एक झलक देखने की गुजारिश की, लेकिन दोनों बहनें किसी के लिए नहीं पिघलीं। पल्लवी और वैश्विक एक दूसरे से लिपटकर रोतीं, लेकिन बाहर किसी से कभी कुछ नहीं बोलीं। कुछ दिनों बाद शव कंकाल बन गया और दोनों ने उसी कंकाल के साथ जीने की आदत डाल ली। हालांकि बुधवार देर रात पुलिस ने दोनों बहनों को मानसिक रूप से बीमार मानते हुए मौसा को सुपुर्द कर दिया। शव को कब्जे में लिया है।