धामपुर शुगर मिल का दो दिवसीय दौरा राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर के निदेशक प्रोफ़ेसर नरेंद्र मोहन जी ने किया — राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के डायरेक्टर प्रो0 नरेंद्र मोहन जी ने धामपुर शुगर मिल का दो दिवसीय भ्रमण शनिवार एवं रविवार को शुगर मिल तथा डिस्टलरी यूनिट में भ्रमण किया । धामपुर शुगर मिल के द्वारा चीनी, एथेनाल, खोई एवं अन्य सह-उत्पादन के उच्चतम प्रोडक्शन हेतु किए जा प्रयासो एवं प्लांट मशीनरी के रखरखाव तथा भविष्य में प्रबंधन के द्वारा उठाने के लिए कुछ कदमों के बारे में अपने सुझाव दिए । पत्रकार वार्ता के दौरान प्रो0 नरेंद्र मोहन जी ने भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के तहत एथेनॉल के ज्यादा से ज्यादा प्रोडक्शन पर जोर दिया, ताकि देश की गाड़ियों में हो रहे इंधन की खपत को पूरा किया जा सके तथा तेल के आयात पर अंकुश लगाया जा सके । इसके अलावा उन्होंने विमानों में यूज़ हो रहे ईधन को एथेनाल को विकल्प के तौर पर यूज करने के बारे में और अनुसंधान करने पर जोर दिया । पत्रकारों के सवालों के जवाब में उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में ब्राजील में 27% से लेकर 52.5 प्रतिशत तक एथेनाल का यूज़ मिक्सिंग करके हो रहा है उन्होंने चीनी मिल के मालिकों को सुझाव दिया कि चीनी मिल के मालिकों की नजर बाजार के ऊपर होनी चाहिए और किसी उत्पाद को अंतिम उत्पाद नहीं मानना चाहिए, चीनी मिल के सारे उत्पाद खोई, फिल्टर केक, शीरा के अलावा वैल्यू ऐडेड प्रोडक्ट पर जोर देना चाहिए। उन्होंने पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए कहां की खोई से फर्नीचर, पार्टिकल बोर्ड बनाया जा सकता है इसके लिए यूपी में दो यूनिट लग रहे हैं दीवान शुगर और के एम शुगर, अयोध्या में । राष्ट्रीय शर्करा संस्थान खोई से बने उत्पादों से ग्रीन कैंटीन चला रहा है वहां खोई से बने हुए बर्तनों का यूज़ होता है अतः उन्होंने फैक्ट्री मालिकों को सलाह दिया कि जितने भी कटलरी के आइटम जैसे खाने पीने की चीजें कांटे, कटोरी, पानी पीने के गिलास, प्लेट आदि खोई से बनाया जा सकता है क्योंकि खोई से बना हुआ कटलरी का आइटम 45 दिनों के अंदर बायोडिग्रेडेबल हो जाता है इसकी तुलना में प्लास्टिक
से बने हुए कटलरी के आइटम पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते पहुंचाते हैं हर साल लगभग 5 लाख टन प्लास्टिक का इस्तेमाल कटलरी के आइटम बनाने में प्रयोग होता है। Bagasse से कटलरी आइटम बनने से एक नया मार्केट भी खुल जाएगा । उन्होंने धामपुर शुगर मिल प्रबंधन को वैल्यू ऐडेड प्रोडक्ट बनाने के लिए सुझाव दिए कि उन्हें 238 गन्ने की वैरायटी के अलावा दूसरी वैरायटी पर भी ध्यान देना चाहिए, दूसरा जितना ज्यादा रेवेन्यू earn होगा उतनी जल्दी किसानों का पेमेंट होगा । इसलिए चीनी मिल मालिकों को चीनी की पैकेजिंग पर भी ध्यान देना चाहिए खुली चीनी के बजाय पैकेट में भर कर के चीनी मार्केट में बेचना चाहिए । इसके अलावा उन्होंने खोई से वनीला बनाने के लिए सुझाव दिया क्योंकि बीन्स से बनने वाली वनीला $25000 प्रति किलोग्राम तथा पेट्रोलियम प्रोडक्ट से 15000 डॉलर प्रति किलोग्राम होती है अतः खोई से ही वनीला बनानी चाहिए जो आइसक्रीम में यूज हो सके इससे प्रोडक्ट कंजूमर फ्रेंडली होगा, क्योंकि राष्ट्रीय शर्करा संस्थान गुणवत्ता नियंत्रण पर विशेष रूप से काम करता है और उसके लिए बी 0आई0 एस0 मानक भी तैयार करता है ताकि उन्हीं मानकों के अनुसार चीनी का उत्पादन हो सके । राष्ट्रीय शर्करा संस्थान सहकारी चीनी मिलों के लिए 6 नए प्रोग्राम शुरू करने जा रहा है ताकि नई तकनीक के अनुसार सहकारी चीनी मिलें अपना कार्य एवं विकास कर सकें इसके अलावा निदेशक, प्रोफेसर नरेंद्र मोहन जी ने चीनी मिलों की प्रशंसा करते हुए बताया कि चीनी मिलों ने कोरोना काल में अद्भुत कार्य किया है चीनी मिलो ने हैंड सैनिटाइजर अल्कोहल से बनाया जो केस स्टडी का विषय बन गया है । पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने बताया कि 2025 तक एथेनॉल की मांग लगभग 1016 लाख करोड़ लीटर हो जाएगी, अतः चीनी मिलों को ज्यादा से ज्यादा एथेनाल का उत्पादन करना चाहिए इससे ना केवल भारत इंधन के लिए आत्मनिर्भर हो जाएगा बरन चीनी के उत्पादन क्षेत्र में अग्रणी होकर चीनी का निर्यात करेगा । उन्होंने यह भी बताया कि इस बार 350 लाख Ton चीनी बनने जा रही है । धामपुर शुगर मिल में राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के निदेशक श्री नरेंद्र मोहन जी के भ्रमण के दौरान राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के श्री अनूप कनौजिया एवं श्री मोहित कुमार भी उपस्थित रहे। पत्रकार वार्ता के दौरान धामपुर शुगर मिल के उपाध्यक्ष श्री एम.आर.खान,प्रोडक्शन हेड उपेंद्र तोमर, डिस्टलरी हेड जितेश गुप्ता, क्वालिटी कंट्रोल हेड श्री सत्यवीर सिंह तथा कारखाना प्रबंधक श्री विजय गुप्ता आदि उपस्थित थे।