पहाड़ी क्षेत्रो में लगातार हो रही बारिश के चलते निचले इलाको में बहने वाली नदियों में पानी का स्तर तेजी के साथ बढ़ रहा है बाढ़ के कहर से नौबत यहां तक आ पहुंची है कि अब लोग पानी के डर से पलायन करने को मजबूर है, यूपी उत्तराखंड सीमा पर स्थित राम सहायवाला गांव गंगा की तेज़ धारा की चपेट में आ चुका है हालाकि इस गांव के साथ लगभग दो दर्जन गांवो को गंगा की धार से बचाने के लिये 5 किलोमीटर लंबा तटबंध भी बनाया गया था जो दोनो प्रदेशोकी सरकार की लापरवाही के चलते टूटने की कगार पर है तटबंध से लगे दो गांव रामसहाय वाला और हिम्मतपुर बेला प्रशासनिक दृष्टि से बिजनौर में आते है जबकि 20 गांव उत्तराखंड सीमा में पड़ते है ग्रामीणो की माने तो समस्या के समाधान को लेकर जब अधिकारियों के पास जाओ तो अधिकारी तटबंध को उत्तराखंड में बताकर पल्ला झाड़ लेते है ऐसे में सीमा विवाद के चक्कर में फंसे ग्रामीण अब अपनी जान बचाने के लिये अपने मकानो को तोड़कर पलायन करने को मजबूर है गांव से अब तक कई परिवार पलायन कर चुके है और गांव में अब बस इक्का दुक्का ही व्यक्ति नज़र आ रहा हैउधर बिजनौर जिला प्रशासन के अधिकारियों से जब इस मामले में जानकारी ली गई तो उन्होने दोनो गांवो को अपने जिले में न होना बताते हुए कहा कि तटबंध उत्तराखंड में पड़ता है इसलियें उसके रख रखाब की जिम्मेदारी भी उत्तराखंड सरकार कि है जिसके चलते इन गांवो के लोग यूपी उत्तराखंड के सीमा विवाद के बीच राम भरोसे जिंदगी जीने को मजबूर है उधर प्रदेश की सीमा विवाद के चलते समस्या का समाधा न होने पर लोगो को अब केन्द्र सरकार से ही कुछ मदद की उम्मीद है