सफेद हाथी बने वैंटिलेटर

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देशभर में कोविड-19 का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है वहीं मरीज़ों के उपचार के लिए भी हाहाकार मचा हुआ है। कहीं वैंटिलेटर की किल्लत से मरीज़ दम तोड़ रहे हैं तो कहीं आॅक्सीज़न आपूर्ति न होने के कारण कोविड मरीज़ों की मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है। लेकिन उत्तर प्रदेश के जिला बिजनौर  के जिला अस्पताल में वैंटिलेटर भी हैं और आॅक्सीज़न की आपूर्ति भी है लेकिन इन सब के होने का भी कोई फायदा नही है। बिजनौर जिला अस्पताल में वैंटिलेटर सफेद हाथी बने खड़े हैं क्योंकि उन्हें चलाने के लिए स्टाफ नही है। हैरानी होती है ऐसे सिस्टम पर जहां उपयोग की चीज़े ंतो हैं लेकिन उन्हें उपयोग करने की सलाहियत किसी में नही है। आपको बता दें कि जनपद बिजनौर के सीएमओ विजय कुमार यादव ने 50 लाख रूप्ये की कीमत से वैंटिलेटेर तो खरीदे लेकिन आज तक ये वैंटिलेटर बिजनौर जिला अस्पताल में  सफेद हाथी बने खड़े हैं।
ऐसा भी नही है कि जिला बिजनौर में कोरोना के मरीज़ कम हों बल्कि जनपद में लगभग 3000 संक्रमण के सक्रिय मामले हैं और आंकड़ो के अनुसार लगभग 75 लोगों की मृत्यु भी हो गई है, जबकि हकीकत में मौतों की संख्या कही ज्यादा है। जनपद बिजनौर से कोरोना संक्रमित गंभीर मरीज़ों को मुरादाबाद या मेरठ रैफर कर दिया जाता है।
अब सवाल यह उठता है कि जब सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं तो स्टाफ की कमी का रोना क्यों गाया जा रहा है। अब मरीज़ों के तीमारदार तो अपने साथ वैंटिलेटर चलाने के लिए अनुभवी लोगों को लेकर आयेंगे नही।
वहीं जब ंिबजनौर जिला अस्पताल के सीएमएस से इस बाबत जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा कि पिछले साल 24 वैंटिलेटर खरीदे थे जिसमें से 10 वैंटिलेटर अस्पताल के कोविड वार्ड में रखे हैं लेकिन स्टाफ न होने की वजह से उन्हें कभी चलाया नही गया। उन्हांेने बताया कि 10 वैंटिलेटर मुरादाबाद सीएमओ को भेजे गये हैं जबकि 4 वैंटिलेटर अभी स्टोर रूम में रखे हैं। सीएमएस डा0 ज्ञान चन्द का कहना है कि वैंटिलेटर चलाने के लिए स्टाफ नही है इसलिए किसी प्राईवेट डाॅक्टर से उनको चलावाने की बात की जायेगी।