रहमत का महीना रमज़ान शुरू हो गया

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मुस्लिम समाज के लिए बरकत और रहमत का महीना रमज़ान शुरू हो गया है। रमजान के महीने में रोज़े (उपवास) का खास महत्व होता है। इस महीने को इबादत का महीना भी कहा जाता है। मान्यता है कि इबादत के बदले सबसे ज्यादा पुण्य इसी महीने मिलता है। रोज़ों के बदले गुनाहों की माफी का भी मौका होता है। बाजारों में सहरी और इफ्तारी की तैयारियों के मद्देनजर जरूरत का सामान खरीदने के लिए बाजार में भीड़ उमड़ पड़ी है। रमजान का महीना 2 मई को समाप्त होगा। रमजान इस्लामी कैलेंडर का नवा महीना होता है। इसे माहे रमजान भी कहा जाता है। रमजान के महीने में रोजे रखने, रात में तरावीह की नमाज पढ़ना और कुरान तिलावत करना शामिल है।
मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे महीने रोजा रखते हैं और सूरज निकलने से लेकर डूबने तक कुछ नहीं खाते पीते हैं। साथ में महीने भर इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। रमजान के दौरान रोज़ा इस्लाम के 5 स्तंभों में से एक है।
रोजा रखने का मतलब सिर्फ भूखे प्यासे रहना नहीं बल्कि आंख, कान और ज़वान का भी रोजा रखा जाता है यानी न बुरा देखे, न बुरा सुने और ना बुरा कहे। इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि आपके द्वारा कही गई बातों से किसी की भावनाओं को ठेस ना पहुंचे। रमजान के महीने में कुरान पढ़ने का अलग ही महत्व होता है। हर दिन की नमाज के अलावा रमजान में रात के वक्त एक विशेष नमाज पढ़ी जाती है जिसे तरावीह कहते हैं।

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