बिजनौर के धामपुर तहसील क्षेत्र के कुछ गावों के लिये बीती रात आफत भरी रही, बीती रात इन गांवो में आसमान से ऐसी आफत बरसी की बेबस किसान अपनी आंखो के सामने अपनी खून पसीने की कमाई की बर्बादी का नजारा देखते रहे, दरअसल बीती रात जहां जनपद में तेज हवाओं के साथ मूसलाधार बारिष हुई, वही धामपुर से सटे इन गांवो में बारिश की जगह ऐसा ओला गिरा की खेत खलिहान ओले की सफेद चादर से छिप गये, ग्रामीणेा की माने तो गांव में लगभग आधे से पौन घंटे तक केवल ओलो की ही बरसात हुई, गांव में हुई ओलावृश्टि का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब सुबह होने पर किसान अपने खेतो पर गये तो खेतो में बर्फबारी की तरह ओलो की सफेद चादर बिछी थी, खेतो में ओलो के ढ़ेर देखकर बच्चे खुद को नही रोक पाये, आमतौर पर पहाड़ो में बर्फबारी के बाद वर्फ के बिछने का नज़ारा बच्चो ने पहली बार गांव में ही भारी ओलावृश्टि के बाद देखा, गांव के बच्चे और महिलाये ओले के गोले बना बनाकर अपने घर ले आये, लेकिन आसमान से बरसी ये सफेद आफत का दर्द उन किसानो के चेहरो पर साफ झलक रहा था, जिन्होने अपने खून पसीने से ये फसल सींचकर तैयार की और जब फसल को काटने का वक्त आया तो ओलो की मार से पूरी फसल ही बर्बाद हो गई,
दरअसल बीती रात धामपुर क्षेत्र में मूसलाधार बारिष हुई धामपुर में बारिष का आलम ये रहा कि सड़को पर एक एक फिट से ज्यादा पानी भर गया, लेकिन ठीक उसी समय धामपुर से चंद किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम कौड़ीपुरा, भूरापुर में ओलो की ऐसी बारिष हुई कि किसानो की खेत में अब फसल के नाम पर बिना फल का पौधा ही खड़ा रह गया, गेंहू की फसल पर आये अनाज के बाल और सरसो की पौधो पर आई दानेदार फलियां ओलो की मार नही झेल पाई और टूट कर धाराषायी हो गई, नतीजन कड़ी मेहनत के बाद जब फसल तैयार होने को आई तो प्रकृति की मार ऐसी पड़ी कि किसान के हाथ खाली के खाली रह गये, किसानो की माने तो गेंहू और सरसो अलावा पशुओ का चारा तक भी ओलो से बर्बाद हो गया
हैरत की बात ये है कि भारी ये भारी ओलावृष्टि महज 2-3 गांवो में ही हुई, गांव के पुराने लोगो की माने तो उन्होने अपनी याद में गांव में इससे पहले इतनी ओलावृश्टि कभी नही देखी, प्रकृति की मार से अपनी मेहनत की कमाई को खो चुका किसान अब सरकार की तरफ आस भरी निगाहो से देख रहा है कि फसल बर्बाद होेने का दर्द झेल रहे किसान अब उनकी फसल के लिये सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे है