बच्चो को लुभा रहा एक्सप्रेस ट्रेन बना सरकारी स्कूल

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सरकारी स्कूलो में बच्चो की घटती संख्या सरकारो के लिये हमेशा से ही चिंता का विशय बनी रहती है सरकारी स्कूलो की भौगोलिक स्थिति और शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने के लिये सरकारे हमेशा से ही प्रयासरत रहती है लेकिन शिक्षा का स्तर सुधरना हमेशा से ही एक बड़ी चुनौती रहती है रामपुर के एक सरकारी स्कूल में बच्चो को रिझाने के लिये बेहद ही अनूठा कार्य किया गया है इस स्कूल को देखने के बाद बच्चे ही नही बल्कि बच्चो के माता पिता भी स्कूल की ओर खींचे चले आ रहे है स्कूल की कायापलट के बाद अधिकारी भी इस स्कूल का दौरा करने में दिलचस्पी दिखाते है दरअसल प्लेटफार्म पर खड़ी एक्सप्रेस ट्रेन जैसी दिखने वाली ये तस्वीर किसी ट्रेन की नही बल्कि रामपुर के मुहम्मदपुर शुमाली स्थित प्राथमिक विद्यालय की है स्कूल में बच्चो की लगातार घटती संख्या को देखते हुए बच्चो को रिझाने के लिये इस तरकीब का इस्तमाल किया गया, स्कूल भवन को पेन्टिंग के जरिये एक्सप्रेस ट्रेन का रूप दिया गया है जिससे बच्चे भी स्कूल ओर खींचे आ रहे है आकड़ो की माने तो इस स्कूल में पहले बच्चो की संख्या 20 थी जिनमें कुछ ही बच्चे स्कूल में पढ़ने के लिये आते थे लेकिन पेंट होने के बाद स्कूल में बच्चो की संख्या बढ़कर 40 हो गई है और अब रोज़ाना पूरे बच्चे स्कूल भी आने लगे है तारीफ की बात ये है कि स्कूल के इस नये लुक में आने वाले खर्च में खुद स्कूल में पढ़ाने वाले सरकारी शिक्षकों ने भी मदद की ताकि स्कूल का स्तर बेहतर हो सके
स्कूल में सहायक अध्यापक पद पर तैनात अजीत श्रीवास्तव की माने तो इस स्कूल में 2 साल पहले उनकी तैनाती हुई थी, और तभी से ही शिक्षा के स्तर में सुधार के लिये प्रयासरत है अजीत की माने तो स्कूल में बच्चो का लाने के लिये उन्हे ये आईडिया भी एक प्राइवेट स्कूल से मिला, स्कूल में फिलहाल दो ही शिक्षक तैनात है इसलियें शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिये यहां अभी भी प्र्यापत साधन मौजूद नही,
खुद सरकारी स्कूल के शिक्षक के इस आइडियें से जहां स्कूल में बच्चो की संख्या बढ़ गई है और बच्चे खुशी ख़ुशी सरकारी स्कूलो में पढ़ने आने लगे है लेकिन उसके बावजूद भी प्र्याप्त सुविधायें न होने से शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है रामपुर के एक छोटे से गांव में बने इस सरकारी स्कूल की तरह अगर बाकी स्कूलो में भी समय को देखते हुए फेरबदल करे तो शायद सरकारी स्कूलो की दषा में कुछ सुधार जरूर हो सकता है