धामपुर के मुहल्ला खतियान स्थित सुनारो वाले शिव मंदिर मेड सभा में, महिला कमेटी द्वारा होली मिलन का आयोजन किया गया। महिलाओं ने ढोलक की थाप पर जमकर नृत्य किया। एक दूसरे के गुलाल लगाकर फूलों की वर्षा के साथ मधुर गीतों का गायन कर पूर्ण वातावरण को होली मेंय बना कर समा बांध दिया। इस अवसर पर उमा वर्मा ने होली के महत्व पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि प्राचीन मान्यता के अनुसार हिरणयकुश के पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु की पूजा करते थे। अपने पिता के बार बार मना करने पर भी उन्होंने विष्णु भगवान जी की पूजा नहीं छोड़ी। इस पर क्रोधित होकर हिरणयकुश ने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को मारने का आदेश दिया। होलिका ने प्रहलाद को अपनी गोद में बैठाकर अग्नि में बैठ गई। होलिका को वरदान प्राप्त था कि कोई अग्नि उसे हानि नहीं पहुंचा सकती किंतु विष्णु जी की कृपा से होलिका जलकर राख हो गई तथा प्रह्लाद का बाल बांका भी नहीं हुआ तभी से होलिका दहन मनाया जाता है।