आज हिंदी दिवस है। हिंदी भाषी अपने −अपने स्तर से हिंदी को बढ़ाने और बचाए रखने में लगे हैं। विदेशों में काम करने वाले भारतीय परिवार अपने घर में हिंदी को जिंदा रखे हैं। भले ही उनकी कामकाज और घर से बाहर की बोलचाल की भाषा अंग्रेजी हो किंतु घर में तो हिंदी में ही बातचीत होती है।
आजकल मैं अमेरिका में बड़े बेटे अंशुल के पास हूं । अंशुल यहां पिछले लगभग 15 साल से रह रहा है।यहां अमेरिका में पैदा हुई अंशु और उसकी पत्नी शिल्पी के पास तीन बेटियां हैं। ऐसे ही लाखों भारतीय परिवार अमेरिका बसे हैं। यहां बसे इन भारतीय परिवार की कामकाज की भाषा अंग्रेजी है । घर से बाहर की भाषा अंग्रेजी है। बाजार की भाषा अंग्रेजी है । बच्चों के स्कूल की भाषा अंग्रेजी है, इसके बावजूद इनके घर की भाषा हिंदी है।ये खुद घर में हिंदी बोलते हैं,बच्चों को हिंदी बुलवाते भी हैं। उन्हें हिंदी सिखाते हैं।इनमें से अधिकतर बच्चे हिंदी पढ़ नही पाते। कुछ परिवार जरूर बच्चों को घर पर हिंदी पढ़ा रहे हैं।
अमेरिका में रहने वाले भारतीयों की दोस्ती प्रायःअपने ही भारतीयों से हैं।यहां बसे अंग्रेज और अफ्रिकी लोगों से इनके आफिशियल या व्यवयायिक रिश्ते हैं। जन्मदिन की पार्टी या शादी की वर्षगांठ के अवसर पर ये आपस के सर्किल के भारतीय परिवार ही मिलते हैं । मिलते हैं तो आपस में हिंदी में ही बात करते हैं।
पंजाबी ,बंगाली या मराठी मूल के परिवार तो घर में पंजाबी, बंगाली या मराठी में आपस में बात करते हैं किंतु ये भारतीय परिवार जब आपस में मिलते हैं तो हिंदी में ही ज्यादा बोलते और बात करते हैं।
त्यौहार पर भारतीय परिधान शान से पहले जाते हैं। युवक कुर्ता − पायजामा और युवतियां साड़ी पहनती हैं।यहां मंदिर हैं। भारतीय हिंदू परिवार मंदिर जाते हैं। मंदिर ये लोग ज्यादातर भारतीय परिधान कुर्ता −पायजामा महिलांए साड़ी या भारतीय सूट पहनकर जाना पसंद करती हैं।
मंदिर की बोलचाल की भाषा भी प्रायः हिंदी ही है। मंदिर के पुजारी विद्वान हैं। उनका संस्कृत का तो उच्चारण तो बढ़िया है ही ,हिंदी भी बढ़िया बोलते हैं।तबियत खराब होने पर अंशुल ने यहां मुझे डाक्टर का दिखाया। अंशुल ने मेरी परेशानी अंग्रेजी में डाक्टर को बता रहा था। इसके बावजूद डाक्टर से अपनी कंपनी के हिंदी – अंग्रेजी ट्रांसलेटर को स्पीकर आन कर फोन पर लिया। ट्ररंसलेटर उनकी बात सुन मुझे हिंदी में बताता। मेरे उत्तर को अंग्रेजी में अनुवाद कर डाक्टर को । पूरी तरह से मेरी जानकारी से संतुष्ठ होने पर ही डाक्टर ने मुझे दवा दी।
दुबई तो लगता ही हिंदीभाषियों का देश है।वहां चाहे भारतीय हो, बंगलादेशी हो या पाकिस्तानी सब हिंदी बोलते मिलेंगे। उनकी बोलचाल से नही लगता कि वे भारतीय नही हैं। उनके बताने से पता चलता है कि वे पाकिस्तानी हैं या बंगला देशी।
अशोक मधुप