संभल में शाहिद हुसैन द्वारा तैयार रावण को भगवान राम 45 वर्षों से फूंक रहे हैं। दशहरा आने से पहले शाहिद का परिवार रावण का पुतला बनाने में जुट जाता है। डेढ़ माह पहले से हर साइज के रावण बनने शुरू हो जाते हैं। दशहरा आने से पहले रावण को अंतिम रूप देकर कमेटी के लोगों के हवाले कर दिया जाता है। जहां भगवान राम द्वारा रावण का वध करके असत्य पर सत्य की जीत का जश्न मनाते हैं। असत्य पर सत्य की, अधर्म पर धर्म की और बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाने वाला पर्व दशहरा है। हर साल इस दिन हम बुराई के प्रतीक रावण को जला कर अपने भीतर एक आस्था बुनते हैं। लेकिन रावण के यही पुतले सम्भल के एक मुस्लिम परिवार के लिए जीविका का सहारा बनते हैं। ऐसा ही एक परिवार सम्भल के मौहल्ला मियां सराय में रहता है। जो सम्भल रामलीला मैदान व अन्य स्थानों में भगवान राम द्वारा जलने वाले रावण वह अन्य साथियों के पुतले मौहल्ला मियां सराय स्थित आवास पर बनाने में जुटे है।
दशहरा से पहले ही बनने लगते हैं रावड़ के पुतले
शाहिद हुसैन वारसी ने बताया कि लगभग डेढ़ माह पहले से रावण के पुतलने को बनाने का काम शुरू कर देते हैं। यह काम हमारा परिवार 45 वर्षों से करता आ रहा है। आसपास से कच्चा माल खरीद कर इसे हम रावण का रूप देते हैं। लगभग 8-9 जगह से हमें आर्डर मिलते हैं। इस कारण हम डेढ़ माह पहले से काम शुरू करते हैं। हमारे द्वारा तैयार पुतले कुंदरकी, हजरतनगर गढ़ी, सम्भल, हयातनगर, सौंधन, खासपुर डोल आदि स्थानों पर जाते हैं। ऑर्डर के अनुसार ही हम पुतलो की ऊंचाई रखते हैं। कारीगर मौहम्मद रेहान ने बताया कि यह काम हमारे बहनोई शाहिद हुसैन वारसी करते हैं। हमारे द्वारा तैयार रावण कुंदरकी, हजरतनगर गढ़ी, सम्भल, हयातनगर, खासपुर डोल आदि स्थानों पर जाते है। आसपास के इलाको से हम इसका कच्चा माल लाते हैं। 15-20 दिन पहले से पुतलो को अंतिम रूप देना तैयार कर देते हैं। दशहरे पर हम सात-आठ रावण तैयार करते हैं।