

दरअसल गांव में बुखार की शुरुआत दो सप्ताह पहले हुई थी। शुरूआत में एक-दो ग्रामीण बुखार की चपेट में थे, लेकिन बाद में मरीजों की संख्या बढ़ती चली गई। बुखार से गांव में अबतक 7 लोगो की मौते हो चुकी हैं। बुखार के सिंटेम्स कुछ ऐसे बताए जा रहे हैं कि पहले शरीर में थकान होती है जिसके बाद शरीर का तापमान बढ़ना शुरू हो जाता है और इसके बाद में तेज बुखार के साथ शरीर और सिर में दर्द हो रहा है। जब जांच कराई तो खून में प्लेटलेट्स की कमी पाई जाती है। उधर ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग पर कैम्प के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करने की बात कही। स्वास्थ्य विभाग की टीम सिर्फ मरीजों की मलेरिया और डेंगू की जांच कर रही है इसके अलावा उनकी कोई दूसरी जांच नहीं हो रही है। ग्रामीणों ने बताया कि बुखार से ग्रसित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। गांव में चार दिन स्वास्थ्य विभाग ने शिविर लगाया। जिसमें सिर्फ मलेरिया और डेंगू की जांच की। जबकि सरकारी अस्पतालों में भी चिकित्सक बुखार आने पर कोरोना की जांच कराते हैं। स्वास्थ्य विभाग ने शिविर में बुखार के मरीजों की कोरोना जांच नहीं की। जिससे साफ पता चलता है कि स्वास्थ्य विभाग ने शिविर लगाकर सिर्फ खानापूर्ति की है।