बिजनौर मेरठ की सीमा को लेकर दोनों जिले की राजस्व टीम आमने सामने आ गई है। कई दिनों से चल रही पैमाइश से बिजनौर एवं मेरठ जिले की राजस्व टीम सहमत नहीं है। दो हफ्ते पहले दोनों के जिले के राजस्व अधिकारियों ने तय किया था कि, वन विभाग द्वारा सर्वेयर को बुलाकर सीमांकन कराया जाएगा।
बिजनौर जिले के तहसील चांदपुर के अंतर्गत ग्राम नारनौर। जहांगीरपुर। जाफराबाद। जलालपुर। रायपुर। खानपुर के किसानों का कहना है कि 1957 में गंगा जी का प्रवाह बिजनौर जिले में था। परंतु इसके बाद पहाड़ों से आने वाले पानी के तेज बहाव के कारण गंगा ने अपना स्थान छोड़कर मेरठ की ओर करती गई। 60 वर्ष में गंगा जी लगभग 3 किलोमीटर से अधिक मेरठ जिले की सीमा में चली गई। गंगा के स्थान परिवर्तन के कारण मेरठ जिले से बिजनौर जिले में आना कठिन था। पिछले 2 वर्ष से गंगा जी पर पुल बनने के बाद दोनों जिलों की सीमा का विवाद खड़ा हो गया है। जिसको अब अंतिम रूप देने की योजना है। बिजनौर जिले की ओर से चांदपुर तहसील के नायब तहसीलदार श्यामसुंदर बैस। लेखपाल मोहित यादव के साथ मेरठ जिले की मवाना तहसील से सचिन चोधरी। नायब तहसीलदार, नीरज सिंह। लेखपाल, सुरेश शर्मा। कानूनगो, नवरत्न सिंह। वन क्षेत्राधिकारी मवाना ने मिलकर सीमांकन कार्य किया गया था। अचानक मेरठ के राजस्व प्रशासन एवं वन विभाग की टीम ने हाईवे से दक्षिण दिशा की ओर जंगल में सीमांकन का कार्य शुरू कर दिया। जिसको लेकर किसानों में हड़कंप मच गया। इसी विषय को लेकर तहसील चांदपुर में भारी संख्या में किसान पहुंचे और धरना प्रदर्शन किया। नायब तहसीलदार ने सीमांकन का कार्य शीघ्र संपन्न कराए जाने का आश्वासन दिया। धरना देने वालों में मुन्नू सिंह। राकेश सिंह। किशोरी सिंह। वीर सिंह। करन सिंह। बूटी सिंह। राजेंद्र प्रसाद। श्याम बहादुर। प्रधान पति तेजपाल सिंह सैनी रहे।