फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस्त्र के सौदे की दूर तक जाती गूंज

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फिलीपींस को ब्रह्मोस्त्र मिसाइल बेचने का सौदा करने भारत दुनिया के उन चंद देशों के  सूची   में आ गया जो दूसरे देशों को  शस्त्र बेचते हैं। यह भारत की बड़ी  उपलब्धि है।  ये खबर दुनिया भर की मीडिया में  चर्चा बनी।संपादकीय लिखे गए।  ब्रह्मोस्त्र की बिक्री का यह शोर इस बात का नहीं है कि भारत ने 375 मिलियन डॉलर के हथियार बेचे हैं बल्कि यह शोर इसलिए है कि देखो ,दुनिया की हथियार  बाजार  में एक और नया बेचने वाला देश आ गया है।

 ब्रह्मोस मिसाइल के लिए ये पहला विदेशी ऑर्डर है।फिलीपींस को 36 ब्रह्मोस्त्र बेची  जानी है। रिपोर्टों के मुताबिक ब्रह्मोस्त्र को लेकर दक्षिण पूर्व एशिया के कुछ और देशों के साथ बातचीत की जा रही है।   हम शस्त्र काफी समय से निर्यात कर रहे हैं। ब्रह्मोस्त्र को लेकर चर्चा में इसलिए आए कि यह दुनिया की आधुनिकतम मिसाइल है। चीन इसके निर्माण  और टैस्टिंग को लेकर कई बार आपत्ति दर्ज करा चुका है। अभी  हिंदुस्तान एयरनोटिक्स  का मारीशस को एडवास लाइस् हैलिकाप्टर (एएचएल एम के −3) की एक यूनिट  देने का सौदा हुआ है। मारीशस पहले भी इस कंपनी के हैलिकाप्टर प्रयोग कर रहा है । भारत ने वियतनाम के साथ भी 100 मिलियन डॉलर यानि 750 करोड़ रुपये का रक्षा समझौता किया है। जिसमें वियतनाम को भारत में बनी 12 हाई स्पीड गार्ड बोट दी जाएंगी। भारत अर्मेनिया को 280 करोड़ की रडार प्रणाली निर्यात कर रहा है। भारत ने 100 से ज्यादा देशों को राष्ट्रीय मानक की बुलेटप्रूफ जैकेट का निर्यात शुरू कर रहा है। भारत की मानक संस्था ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) के मुताबिकबुलेटप्रूफ जैकेट खरीददारों में कई यूरोपीय देश भी शामिल हैं। अमेरिकाब्रिटेन और जर्मनी के बाद भारत चौथा देश हैजो राष्ट्रीय मानकों पर ही अंतरराष्ट्रीय स्तर की बुलेटप्रूफ जैकेट बनाता है। भारत में बनी बुलेटप्रूफ जैकेट की खूबी है कि ये 360 डिग्री सुरक्षा के लिए जानी जाती है। 

 42 देश भारत से हथियार खरीद रहे हैं। इनमें से बहुत सारे देश वो हैंजो चीन से परेशान हैं और अब भारत हथियार देकर उनकी मदद कर रहा है। 

वर्तमान भारत सरकार रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने पर ज़ोर देती रही है। इसके लिए कई वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध भी लगाया है।भारत रक्षा क्षेत्र में निर्यात बढ़ाने का लक्ष्य लेकर भी चल रहा है।पिछले साल दिसंबर में रक्षा मंत्रालय ने संसद में एक सवाल के जवाब में बताया  कि 2014-15 में भारत का रक्षा क्षेत्र में निर्यात 1940.64 करोड़ रुपये था । 2020-21 में ये बढ़कर 8,435.84 करोड़ रुपये हो गया।साल 2019 में प्रधानमंत्री  ने रक्षा उपकरणों से जुड़ी भारतीय कंपनियों को साल 2025 तक पांच अरब डॉलर तक के निर्यात का लक्ष्य दिया।

 सुपरसोनिक मिसाइल। रैडार सिस्टम ।और भी बहुत कुछ।इनकी बिक्री के लिए आज बहुत बड़ा  बाजार मौजूद है।और  सब हमारे बड़े शत्रु  चीन पैदाकर रहा है।चीन के  अपनी सीमा से सटे देशोंसे ही नहीं सुदूरवर्ती देशों से विवाद है। साउथ चाइना सी में चीन की बढ़ती दादागिरी से फिलीपींस सहित दक्षिणी पूर्वी एशियाई देश परेशान  हैं। दक्षिणी पूर्वी एशियाई देशों ने चीन को जवाब देने की ठानी है। पांच देश- फिलीपींसवियतनाममलेशियाब्रूनेई और इंडोनेशिया का मिलकर एक गठबंधन बनाने की बात चल रही है। ये गठबंधन साउथ चाइना सी में आक्रमक चीन को जवाब देने के लिए है।  और इनके लिए भारत एक बढ़िया और सस्ता  शस्त्र  विक्रेता हो सकता है।

 पिछले दो दशकों में चीन ने बांग्लादेशम्यांमारपाकिस्तानश्रीलंका और अफगानिस्तान जैसे देशों को को आधुनिक हथियार बेचे। चीन  ऐसा करके भारत को घेरना  चाहता है। अब चीन के खिलाफ भारत ने भी इसी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। भारत ने चीन के शत्रु देशों से दोस्ती और उन्हे मजबूत करने की नीति पर तेजी से आगे बढ़ना  प्रारंभ कर दिया।

आधुनिक शस्त्र का निर्यात ये रक्षा क्षेत्र के विकास की कहानी है, जबकि हमने कई क्षेत्र में अच्छा कार्य किया है।कोराना महामारी के आने से पहले हम इसके बचाव के लिए प्रयोग होने वाला कोई उपकरण नही बनाते थे। अब हम मास्क , पीइपी किट, वैंटीलेटर के साथ कोराना की वैक्सीन भी बना रहे हैं। अपने देश के 150 करोड़ से ज्यादा नागरिकों को तो वैक्सीन लगी ही,दुनिया के कई  देशों को हमने वैक्सीन मुक्त दी। आज कई देशों में इसकी मांग हैं।  

देश बदल रहा है। तेजी से बदल रहा है।कुछ समय पूर्व तक वह  अपनी जरूरतों के दूसरे देशपर निर्भर था। सेना की जरूरत के लिए दूसरे बड़े देश के आगे हाथ  फैलाने पड़ते थे अब यह गर्व की बात है कि वह दूसरे देशों को अन्य सामान ही नहीं शस्त्र बेचने लगा है।

मुझे  याद आता है  1965 का भारत− पाकिस्तान युद्ध का समय।उस समय  हम अपनी जरूरत का गेंहू और अन्य अनाज भी पैदा नही कर पाते थे।अमेरिका  अपना घटिया लाल गेंहू हमें बेचता था। ये देश में राशान की दुकानों से जनता को बांटा जाता था।  1965 के पाकिस्तान युद्ध के समय अमेरिका ने देश के प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री को धमकाया था कि वह युद्ध रोंके नहीं तो हम भारत को गेंहू की आपूर्ति बंद कर देंगें। भारत के देशवासी भूखे मरने लगेंगे।  शास्त्री जी ने उसकी बात को नजर अंदाज कर दिया था।उन्होंने देशवासियों से अपील की थी कि अनाज के संकट को देखते हुए सप्ताह में एक दिन उपवास रखें।उसी के साथ  हमने मेहनत की। उत्पादन बढ़ाया।कल− कारखाने लगाए। आज हम काफी आत्म निर्भर हो गये।  दुनियाभर में भारत की प्रतिभा का आज डंका बजा है। देश के वैज्ञानिक और तकनीकि विशेषज्ञ दुनिया के प्रतिष्ठित संस्थानों में अपनी सेवा दे रहे हैं। भारतीय उत्पादों की दुनिया  में मांग हैं। हम विकास और निर्माण के नए आयाम बना रहे हैं।

अशोक मधुप (लेखक वरिष्ठ पत्रकार)

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