चाइनीज मांझे  के विरूद्ध सोशल  मीडिया  पर अभियान 

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पिछले  कुछ समय से सोशल मीडिया पर एक मैसेज तेजी से वायरल हो रहा है। मैसेज में कहा जा रहा है कि 15 अगस्त पर होने वाली पतंगबाजी के मद्देनजर दुपहियां वाहन चालक अपनी सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान दें।  पतंग उड़ाने में प्रयोग होने वाला चाइनीज मांझा जानलेवा हो सकता है।   वाहन चलाते सावधानी बरतें।वाहन धीमे  चलाए।देखकर चलाए।गले पर मोटा कपड़ा  बांधकर रखे।

प्रश्न  यह है कि आज सोशल मीडिया जिस समस्या के लिए चिंतित हैं, सरकार और प्रशासन का ध्यान इस ओर क्यों नहींॽ 2017 से इस चाइनीज मांझे पर रोक के बाद भी  इसकी बिक्री देश में क्यों नही रूक रहीॽ क्यों सरकार  इस समस्या के सामने अपने को असहाय पाती है।

हमारे देश में पंतग उड़ाने की पुरानी परंपरा  रही है।स्वतंत्रता दिवस, मकर संक्रांति, रक्षा बंधन और  भैया दूज आदि पर्व के अवसर पर  पतंगबाजी का शौक लोगों में जुनून की हद तक दिखाई  देता है। लोगों का यह शौक उस सयम  जानलेवा हो  जाता है, जब पतंग के शौकीन एक दूसरे की पतंग काटने के लिए ऐसे  मांझे का इस्तेमाल करते हैं। जो पंतग की डोर के साथ –साथ   आदमी की गरदन भी काट रहा है।चाइनीज मांझे के नाम से बिकने वाले इस  मांझे की धार  ब्लेड की धार से भी  ज्यादा तेज होती है।पल भर में यह वाहन चालक की गरदन  काट देता है। यह मांझा राह चलने वाहन चालकों का आज बड़ा दुश्मन बन गया है। पंतग को उड़ाने वाला ये चाइनीज मांझा साइनेंट किलर की तरह काम करता है। वाहन चालक को यह दिखाई नहीं देता।  पता  तब चलता है,जब ये शरीर के अंग को क्षति ग्रस्त कर देता है। पल भर में ही लोगों को अपना शिकार बना लेता है।

हाल ही में  दिल्ली में 30 वर्षीय सुमीत   बुराड़ी स्थित अपनी हार्डवेयर शॉप से घर के लिए रोहिणी जा रहा था। कि इसकी गरदन से मांझा टकराया।  उसे संभलने का अवसर भी नही मिला।सुमित की गर्दन कटने से मौत हो गई।इस घटना  के बाद से आरोपी को पकड़ने के लिए पुलिस सक्रिय हुई।  अगले  दिन पतंग नही उड़ीं। किंतु सही पंतग उड़ाने वाला पकड़ा  जाएगा।  इसमें संदेह है।कुछ दिन सख्ती होगी।फिर धीरे− धीरे सब सामान्य हो जाएगा।

पतंग उड़ाने वाले अक्सर ऐसी डोर या माझे  का प्रयोग करते हैं ताकि दूसरा पतंगबाज उनकी पतंग न काट सके। वे सरलता से सामने वाले  पतंग काट लें। इसके लिए  पहले धागे पर सरेस मिलाकर कांच  का बुरादा लगाकर  मांझा बनाया जाता था। यह माझा भी नुकसान दायक था, पर टूट जाता था।इससे  इतना नुकसान नही था।बताया जाता है चाइनीज मांझा प्लास्टिक, नायलॉन और लोहे का बुरादा मिलाकर बनाया जाता है।  धातुओं के मिश्रण से बनने के कारण  यह मजबूत ज्यादा है। ये खुद नही कटता। ये मांझा  विरोधी की पंतग काटने के  लिए  पक्की गांरटी भी माना  जाता है।इसीलिए पतंगबाज इसका इस्तमाल करते हैं।  विभिन्न धातुओं के मिश्रण से बने होने के कारण यह  धारदार और विद्युत सुचालक होता है ।यह मांझा बिजली के तारों के संपर्क में आते ही  पतंगबाजी करने वालों की भी जान ले रहा है । 13 मार्च 2022 को उत्तर प्रदेश के नजीबाबाद के एक घर में  पंतग के मांझे में पत्थर  बांधकर खेल रहे बालक के माझे से बिजली का तार कटा। तार से मांझे में करंट आने से बच्चे की मौत हो गई।इस  मांझे  से बिजली की सप्लाई में भी बाधा पहुंचती है। कई बार दो तारों के बीच इस धागे के संपर्क से शॉर्ट सर्किट भी हो जाते हैं। मैट्रो की बिजली बाधित हो जाती है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने जुलाई 2017 में खतरनाक चीनी मांझे की बिक्री पर पूरे देश में बैन लगा दिया था। पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल (पीटा) की अर्जी पर यह आदेश किया गया था। मांझा बनाने वाली कंपनियां सुप्रीम कोर्ट भी गईं, लेकिन उन्हें वहां से राहत नहीं मिली। पहले यह मांझा चीन से आता था। अब तो अपने देश की फैक्ट्री ही धड़ल्ले  से बना  रही हैं।चाइनीज मांझा दिल्ली में 10 जनवरी 2017 से प्रंतिबंधित  है, किंतु सिस्टम की गैर जिम्मेदार रवैये और घूंसखोरी की बदौलत धड़ल्ले से पंतग उड़ रही हैं।इसकी चपेट में आकर पिछले सालों में कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। हजारों की तादाद में पंछी हर साल जख्मी होते हैं।

 लाँक डाउन में जहां सब बंद  था। वहां रोज शाम को पंतग उड़ती   रहीं । पतंग और चाइनीज मांझा धड़ल्ले से बिक रहा था। हां ये बात जरूर थी। कि लॉक डाउन के कारण दुपहिया वाहन बंद होने से उनके सवार दुर्घटना के शिकर नही हुए, किंतु पक्षी लगातार घायल होते और मरते रहे। दरअस्ल ये मांझा खराब नही होता। टूटता  नहीं।इसकी बची और कटी डोर कूड़े में चली जाती

 है।  इस कूडे में भोजन की तलाश में आने वाले पशु −पक्षी इसमें फंस  जाते हैं। माझे से निकलने के प्रयास में उनकी गर्दन कट जाती है या पांव कट जाते हैं।  

इस मांझे से कितने व्यक्ति मरे , इसका कोई  सही आंकड़ा  नही हैं। सिर्फ  अखबारों की सुर्खी से ही घटना  का पता चलता है।पशु− पक्षियों के भी इस मांझे  से घायल होने या मरने के आंकड़े भी   उपलब्ध  नही हैं किंतु पर्यावरणविद मानते हैं कि इससे पक्षियों की मौत बढ़ी है। आकाश में उड़ते  पक्षी को पंतग की डोर दिखाई नही देता। पता तब चलता है  जब वह टकराकर घायल होकर या मरकर जमीन पर गिरता है।

ऐसे में जरूरी हो गया है कि सरकारी स्तर पर  चाइनीज  मांझा बनाने और उसके बेचने पर सख्ती  से रोक लगे। मांझा बनाने और बेचने वालों पर गंभीर धाराओं  में मुकदमें दर्ज हों।     माझे की बिक्री पर रोक लगाने के आदेश के विरूद्ध  सर्वोच्च न्यायालय जाने वाली चाइनीज मांझा बनाने  वाली फैक्ट्री की जांच हो कि ये चल तो नही रहीं।  सरकार  का इस माझे के प्रतिबंध के आदेश का भी समाज में प्रचार करना होगा।इस मांझे के प्रयोग के विरूद्ध  लोगों को भी जागरूक होना होगा। उन्हें  अपने बच्चों को इसके अवगुण और नुकसान से अवगत कराना होगा। स्कूल और काँलेज में शिक्षकों के  माध्यम से इसके होने वाले नुकसान के बारे में बताना होगा।समाज में इनके विरूद्ध  जनचेतना पैदा करनी होगी, तभी  इसपर रोक लग सकेगी।

अशोक मधुप  

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