एक दशक बाद शुरू हुई विद्यालय की मरम्मत

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एक दशक से भी अधिक समय बीत जाने पर प्राथमिक विद्यालय की मरम्मत प्रारम्भ हो गई है। इस बीच बच्चों के पढ़ने के लिए ग्रामीणों ने अपने निजी आवास खोल दिये हैं।
भले ही सरकार प्राथमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों को बढ़ाने के लिए तमाम सुविधाएं देकर आकर्षित कर रही हो लेकिन अफज़लगढ़ ब्लाॅक के गांव उमरपुर नत्थन में एक दशक से अधिक बीतने के बाद भी किसी ने इस विद्यालय की मरम्मत की सुध नही ली।
कोविड-19 के चलते विद्यालय खोलने से पूर्व विद्यालयों को पूरी तरह सौंदर्यकरण व रंगाई पुताई के बाद विद्यालय में बच्चों को बुलाने के आदेश थे लेकिन इस गांव में कक्षा 1 से 5 तक की कक्षाएं संत गुरू रविदास धर्मशाला के प्रांगण में बनी प्राथमिक विद्यालय की जर्जर बिल्डिंग में ही संचालित हो रही थी। काफी शिकायतों के बाद अब विद्यालय की मरम्मत का कार्य शुरू हुआ है इस बीच बच्चों को पढ़ाने के लिए ग्रामीणों ने अपने निजी भवन खोल दिये हैं। लगभग 90 बच्चों को बैठाने की व्यवस्था न होने के कारण बच्चे खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं। जहां बारिश हो जाने पर बच्चों का अवकाश करना पड़ता है। कुल मिलाकर विद्यालय की मरम्मत के बाद भी 90 बच्चों को पढ़ाने के लिए केवल दो कमरों की बिल्डिंग ही मौजूद है।
इस संबंध में विद्यालय के मुख्य अध्यापक का कहना है कि उच्चाधिकारियों को बिल्डिंग संबंधित व बच्चों की पढ़ाई हेतु अन्य आवश्यकताओं के संबंध में अवगत करा दिया गया है।